आर्थिक स्थिति को लेकर थोड़ा बहुत समस्याएं तो लगभग सभी के आती रहती हैं पर बहुत से लोईंग ऐसे होते हैं जिनके जीवन में कभी आर्थिक स्थिरता बन ही नहीं पाती या तो आर्थिक पक्ष में हमेशा संघर्ष बना रहता है या बहुतसे लोगों की इनकम अच्छी होने पर भी उनके पास पैसा रुक ही नहीं पाता या पैसों की कमी हमेशा बनी रहती है जिससे आर्थिक संघर्ष बढ़ता है, ज्योतिषीय दृष्टि से ऐसा कुंडली में बने कुछ खास ग्रहयोगों के कारण ही होता है तो आईये जानते हैं कौनसे योग आपके जीवन में दरिद्रता उत्पन्न करते हैं
कुछ विशेष ग्रह-योग -
1. यदि धनेश बारहवे भाव में हो और शुभ प्रभाव से वंछित हो तो यह योग दरिद्रता उत्पन्न करता है।
2. धनेश का छटे आठवें भाव में होना और षष्ठेश, अष्ठमेश का धन भाव में होना भी दरिद्रता देता है।
3. जब धन भाव में गुरु-चाण्डाल योग, ग्रहण योग, विष योग या अंगारक आदि पाप योग बने हों तो भी व्यक्ति को
दरिद्रता का सामना करना पड़ता है।
4. लाभेश का भी पाप भाव (6,8,12) में जाना, नीच राशि में होना या अति पीड़ित होना दरिद्रता उत्पन्न करता है।
5. यदि शुक्र नीच राशि (कन्या) में हो, केतु से पीड़ित हो या अष्टम भाव में हो, पूर्णास्त हो तो भी दरिद्रता व्यक्ति के जीवन को घेर लेती है।
6. पाप ग्रहों का धन भाव में नीच राशि में बैठना भी दरिद्रता उत्पन्न करता है।
7. जब सूर्य और चन्द्रमाँ परम नीच में हों और नीचभंग आदि ना हो तो भी दरिद्रता आती है।
8. काल सर्प योग जब धन भाव में बने और अन्य ग्रहस्थिति भी कमजोर हो तो भी दरिद्रता का सामना होता है।
9. जब कुंडली के तीनो शुभ कारक ग्रह (लग्नेश,पंचमेश,नवमेश) बहुत पीड़ित या कमजोर स्थिति में हों तो भी जीवन में दरिद्रता आती है।
विशेष -
ऊपर हमने जिन कुछ मुख्य ग्रहस्थितियों का वर्णन किया है उनमे व्यक्ति को निश्चित रूप से संघर्ष का सामना तो करना ही पड़ता है परन्तु ध्यान देने योग्य बात यह है के कभी कुंडली में बने किसी एक ही योग को देखकर निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जाता यदि कोई पाप योग या उपरोक्त में से कोई बुरा योग बनता है पर साथ में उस पर शुभ प्रभाव होने से उसकी तीव्रता कम हो रही हो तो व्यक्ति संघर्ष करके अपने जीवन को सही स्थिति में ले आता है परम संघर्ष और दरिद्रता की स्थिति तभी बनती है जब कुंडली में बने अधिकांश योग नकारात्मक हों और सभी शुभकारक ग्रह कमजोर हों।
उपाय - यदि आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर हो की जीवन दरिद्रता में जा रहा हो तो निम्न उपाय श्रद्धा से करने पर अवश्य आपके सहायक होंगे -
1. प्रति दिन "श्रीसूक्त" का पाठ करें।
2. ॐ शुम शुक्राय नमः का सामर्थ्यानुसार एक, दो, तीन माला जितना संभव हो प्रतिदिन जाप करें।
3. अपने धनेश ग्रह के मंत्र का भी जाप करें।
4. घर के मंदिर में "श्री यन्त्र" की स्थापना करें।
5. गाय को रोज रोटी पर बताशे रखकर खिलाएं।
6. घर में तुलसी का पौधा अवश्य लगाएं।
7. घर के ईशान कोण को हमेशा साफ स्वच्छ रखें।
।।श्री हनुमते नमः।।
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